Saturday 17 March 2012

इनकम टैक्स क्यों चुका रहे कम..........

 यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि स्कूल टीचर से इंजिनियर तक, बैंक अधिकारी से सेल्स इग्जेक्युटिव तक लाखों ऐसे लोग हैं, जो कम जानकारी के कारण अपना पूरा टैक्स नहीं देते और इनकम टैक्स विभाग की तरफ से लगाई पेनल्टी और कई बार जेल तक की सजा भुगतते हैं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों की टैक्स चोरों की लिस्ट में ईमानदार लोगों के नाम भी शामिल होते हैं। ऐसे लोगों को टैक्स के नियमों की पूरी जानकारी नहीं होती और अनजाने में ही वे टैक्स की चोरी कर जाते हैं।

एक सर्वे से पता चला है कि 96 फीसदी सैलरीड लोग अपने इनकम टैक्स रिटर्न में अन्य स्त्रोतों से होने वाली आमदनी का ब्यौरा नहीं देते। सभी सैलरीड लोगों का सेविंग अकाउंट होता है, जिस पर उन्हें ब्याज मिलता है। इस ब्याज से होने वाली आमदनी का सुनिश्चित ब्यौरा आमतौर पर नहीं दिया जाता। इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, इस आमदनी का ब्यौरा देना जरूरी है, लेकिन सैलरीड क्लास के ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है। 

टैक्स चोरी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम अपनी आमदनी की पूरी जानकारी अपने इनकम टैक्स रिटर्न में शामिल करें और समय पर टैक्स जमा कराएं। लेकिन यह तभी मुमकिन है, जब आपको इस बात की जानकारी हो कि आप क्या गलती कर रहे हैं। 
जूलरी पर वेल्थ टैक्स 
इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, कोई शख्स वेल्थ टैक्स तब जमा करता है, जब उसकी संबंधित संपत्ति की कीमत 30 लाख रुपये से ज्यादा हो। 30 लाख रुपये से ज्यादा की इस संपत्ति पर 1 फीसदी टैक्स जमा करने का प्रावधान है। जो लोग अपनी सोने की जूलरी को गिरवी रखकर लोन ले लेते हैं, उन्हें टैक्स विभाग को इस सोने की पूरी जानकारी देना जरूरी है। उन्हें बताना चाहिए कि उनके पास यह कहां से आया? क्या यह उनकी पैतृक संपत्ति है या उन्हें शादी में उपहार में मिली है। दोनों ही स्थितियों में अगर संपत्ति 30 लाख रुपये से ज्यादा है तो वेल्थ टैक्स जमा कराना अनिवार्य है। 
ब्याज की आमदनी न दिखाना 
भले ही बचत खाते से आपको कम आमदनी होती हो, लेकिन इसे रिटर्न में शामिल करना जरूरी है। बैंक से मिलने वाला ब्याज ही नहीं, बल्कि एनएससी, एफडी या आरडी से ब्याज भी रिटर्न में शामिल करना जरूरी है और इन पर हर साल टैक्स जमा करना आपकी जिम्मेदारी है। कुछ स्थितियों में बैंक को टीडीएस भी काटना पड़ता है। इसके बावजूद अगर आप 20 या 30 फीसदी के स्लैब में आते हैं तो बचा हुआ टैक्स आपको चुकाना होगा। 
पांच साल के अंदर घर बेचना 
अगर आपने लोन लेकर खरीदे गए घर को पांच साल के भीतर बेच दिया है तो धारा 80 सी में हासिल की गई छूट (प्रिंसिपल अमाउंट का रीपेमेंट) को उतारना पड़ता है। यानी जितनी रकम पर छूट ली गई, उस पर घर बेचने के बाद अपने स्लैब के मुताबिक टैक्स चुकाना होगा। आप यह कहकर बच नहीं सकते कि मुझे जानकारी नहीं थी, क्योंकि कम जानकारी होना कोई बहाना नहीं है। 
तीन साल के अंदर पॉलिसी सरेंडर 
बहुत कम लोग जानते हैं कि तीन साल से पहले लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म करने पर पिछले बरसों में ली गई छूट का पूरा भुगतान करना पड़ता है। मान लीजिए, किसी शख्स ने फाइनैंशल ईयर 2010-11 में प्रीमियम के तौर पर 45 हजार रुपये जमा कराए, लेकिन 2011-12 में उस पॉलिसी को खत्म कर दिया। अब उसे फाइनैंशल ईयर 2011-12 में 45 हजार पर अपने स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा। मसलन अगर वह 20 फीसदी के स्लैब में है तो उसे नौ हजार रुपये टैक्स पे करना जरूरी है। 
एक ही छूट दो बार क्लेम 
आमतौर पर पर जब कोई सैलरीड क्लास का शख्स साल के दौरान नौकरी बदलता है तो उसे अपनी पिछली कंपनी से मिलने वाली सैलरी की सूचना अपनी नई कंपनी को देनी होती है, जिससे नई कंपनी टीडीएस सही से काट सके। वेतन पर कटने वाला टैक्स कभी-कभी बहुत ज्यादा भी हो सकता है क्योंकि इस दौरान वह शख्स गलती से छूट को दो बार उपयोग कर लेते हैं। गलती से ही सही, वेतनभोगी टैक्स की चोरी कर जाते हैं। साधारण रूप से टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी उस शख्स की है और कंपनी भी यह मान लेती है कि कर्मचारी की कोई और आमदनी नहीं है। 
पत्नी, बच्चों की आमदनी इग्नोर 
पत्नी और बच्चों के नाम से कुछ इनवेस्ट करना एक आम बात है, लेकिन उसे अपने टैक्स के ब्यौरे में शामिल करना बेहद जरूरी। अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो अनजाने में टैक्स चोरी कर रहे हैं। अगर आप अपनी पत्नी/बच्चों के नाम से कोई प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, चाहे वह संपत्ति की बढ़ोतरी के लिए हो या फिर किराए के मकसद से, उसे अपनी आमदनी के ब्यौरे में शामिल करना जरूरी है। इसी तरह अगर आपने अपने 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इनवेस्ट किया है और उस इन्वेस्टमेंट से कोई आमदनी होती है तो उसे अपने रिटर्न में शामिल करना अनिवार्य है। 
दूसरे घर पर वेल्थ टैक्स 
इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, आपको अपने दूसरे घर (अगर वह किराए पर न भी दिया हो) वेल्थ टैक्स चुकाना अनिवार्य है। अगर आपने दूसरा घर किराए पर न दिया हो तो उससे मिलने वाले किराये की रकम को आपकी आमदनी में जोड़ा जाएगा। 
सुशील अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंट )

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